जामसांवली मंदिर से हनुमान लोक तक का सफर
छिंदवाडा।भारत में शायद ही ऐसा कोई शहर या कस्बा हो जहां हनुमान जी का मंदिर मौजूद नहीं हो। श्रीराम भक्त हनुमान को कलियुग का देवता भी कहा गया है। मान्यता है कि हनुमान आज भी धरती पर मौजूद हैं और जहां भी राम कथा का आयोजन होता है, वे वहां पहुंच जाते हैं। यही कारण है कि राम कथा की जगह पर एक स्थान खाली छोड़ा जाता है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हनुमान जी यहां विश्राम अवस्था में विराजमान हैं। ये जामसांवली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। जल्द ही जामसांवली मंदिर हनुमान लोक का आकार लेगा। चमत्कारी जाम सावली हनुमान मंदिर में 314 करोड़ की लागत से भव्य हनुमान लोक बनाया जाएगा। जिसकी तैयारी शुरू हो गई है। 24 अगस्त को प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान विधि विधान के साथ महाकाल लोक की तरह जाम सावली के हनुमान लोक की आधारशिला रखी। लगभग 30 एकड़ जमीन में मराठवाड़ा वास्तुकला की शैली से लगभग 100 से ज्यादा कारीगर इसे आकार देंगे। जिसको लेकर भव्यता के साथ तैयारियां चल रही है।
मंदिर से जुड़ा इतिहास
मध्य प्रदेश का जामसांवली मंदिर की खास बात ये है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति निद्रा अवस्था में है। ऐसी किवदंति है कि सालों पहले यहां चोरी करने के लिए कुछ चोर पहुंचे थे। उन्हें पता चला कि इस प्रतिमा के नीचे बहुत धन है। उस समय ये मूर्ति खड़ी अवस्था में थी। चोरों ने तब मूर्ति हटाने का प्रयास किया। इसी दौरान सामग्री को चोरी से बचाने के लिए हनुमान जी की मूर्ति लेट गई।
आस्था का केंद्र मंदिर
अद्भुत श्री हनुमान मंदिर आस्था और विश्वास का केंद्र है, जहां सच्चे मन से आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। स्वयं श्री हनुमान जी निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। स्वामी श्री हनुमान की मूर्ति और इसकी स्थापना किसने की, इसका कोई प्रमाण नहीं है। तथ्य के अनुसार स्वयं स्वामी श्री हनुमान प्रकट हुए। जामसांवली मंदिर के इतिहास में 100 साल पहले राजस्व अभिलेखों में महावीर हनुमान का उल्लेख पीपल के पेड़ के नीचे आया था।
खजाना निकालने की कोशिश नाकामयाब
बुजुर्ग ग्रामीण लोगों की मान्यता के अनुसार श्री हनुमान जी की मूर्ति पूर्व दिशा में खड़ी थी। कुछ लोगों को मूर्ति के नीचे छिपे खजाने के संदेह के कारण, लोगों ने मूर्ति को हटाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। लोगों ने मूर्ति को हटाने के लिए 20 बैलों का भी इस्तेमाल किया लेकिन मूर्ति नहीं हिली। रामायण काल की मान्यता के अनुसार लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे, हनुमान जी हिमालय पर्वत से संजीवनी लेने गए थे। संजीवनी को वापस ले जाते समय जामसांवली में हनुमान जी ने पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम किया।
जामसांवली मंदिर से जुडी कथा
नागपुर से छिंदवाड़ा रोड पर जामसांवली नामक एक छोटी सी जगह है, जो एक लेटे हुए हनुमान के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जिसे स्वयंभू यानी स्वयं निर्मित माना जाता है। कोई नहीं बता सकता कि मूर्ति कितनी पुरानी है। लोगों का मानना है कि भगवान हनुमान की सोने की अद्भुत स्थिति पीपल की जड़ों से स्व-निर्मित है। जामसांवली मंदिर एक वन क्षेत्र में स्थित है, जो अब अधिक घने जंगल नहीं है, लेकिन कभी औषधीय पौधों से भरा हुआ माना जाता था। एक कहावत है कि भगवान राम पीपल के पेड़ की भूमिका में खड़े हैं और भगवान हनुमान उनके पैरों पर सो रहे हैं। भगवान हनुमान का रूप भले ही प्राचीन हो लेकिन इसके चारों ओर लगभग 2 दशक पहले एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर को नियंत्रित करने वाले ट्रस्ट में सरकार शामिल है। स्थानीय कलेक्टर जैसे अधिकारी।
जामसांवली मंदिर के चमत्कार
यह महाराष्ट्र के लोगों के लिए एक बहुत लोकप्रिय गंतव्य है। हनुमान जयंती जैसे त्योहारों के दौरान लाखों लोग आते हैं। रामनवमी और हनुमान जयंति के अलावा अन्य पर्वों पर भी भीड़ देखने को मिलती है। यहां आने वालों में शारीरिक दुर्बलताओं से ‘चमत्कारिक इलाज’ की तलाश में भक्त भी शामिल हैं जिन्हें लाइलाज माना जाता है और मरीज जिन्हें उनके रिश्तेदार ‘बुरे जादू के तहत’ समझते हैं। वहीं, शासकीय दस्तावेजों के अनुसार मंदिर करीब 100 साल पुराना है। यहां सबसे श्रद्धालु मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से पहुंचते हैं। मंदिर की एक और खास बात ये भी है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जल निकलता है। भक्त इसे प्रसाद के रूप में लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसे पीने से चर्म रोग नहीं होते और दूसरे रोगों से भी छुटकारा मिलता है।
आज होंगे विभिन्न आयोजन
जामसांवली मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष धीरज भाऊ ने बताया कि आज रात्रि 9 से 12 बजे तक हरि कीर्तन होंगे। इसके बाद 2 बजे से लघुरूद्राभिशेख, पांच बजे मराठी आरती, आरती के पश्चात दर्शन शुरू होंगे। महाप्रसाद वितरण होगा। शाम 5 बजे महाआरती होगी। हनुमान जयंति के अवसर पर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सहित तमाम जगह से श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए पहुंचते है। लगभग इस दिन एक लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।