भाजपा के पार्षदों ने की क्रास बोटिंग, बहुमत के आंकड़ों को नहीं छू पाई भाजपा, खुद बिछाए जाल में फंसी भाजपा
पिछले एक दसक से भाजपा में गुटबाजी चल रही है। सांसद चुनाव और विस उपचुनाव जीतने के बाद भी भाजपा गुटबाजी से उभर नहीं पाई है। इसके पहले चुनावों में भाजपा को गुटबाजी के कारण मुंह की खानी पड़ी है। पिछले लोकसभा और विधान सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस टूटकर बिखर गई। कांग्रेस के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता हजारों की संख्या में भाजपा में शामिल हो गई। इसका भाजपा को लाभ मिला। इस तरह भाजपा नगर निगम में काबिज हो गई। अध्यक्ष पद को लेकर भाजपा कमाल नहीं दिखाई पाई। खुद के बिछाए जाल में फंसकर रह गई। आखिकार अविश्वास प्रस्ताव की अग्रि परीक्षा में सोनू मागो खरे उतरे…
छिंदवाड़ा। नगर पालिक निगम में अध्यक्ष सोनू मागो के खिलाफ मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह की मौजूदगी में गुप्त मतदान हुआ। जिसमें कांग्रेस के निगम अध्यक्ष सोनू मांगो के पक्ष में 21 मत पड़े। जबकि विपक्ष में महापौर समेत 27 पार्षदों के मत ही मिले। वोटिंग के दौरान हाउस में भाजपा के 34 में से 33 और कांग्रेस के सभी 14 पार्षद मौजूद थे। हालांकि अध्यक्ष के पक्ष में कांग्रेसियों के अलावा 7 विपक्षी पार्षदों ने भी मतदान किया। बता दें कि भाजपा के वार्ड क्रमांक-4 के पार्षद उदय सिंह पटेल हाल ही में सडक़ हादसे में घायल हुए थे। इसलिए उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव में हिस्सा नहीं लिया। बता दें कि नियमानुसार अध्यक्ष को हटाने के लिए 2 तिहाई मत की आवश्यकता थी, लेकिन विपक्ष यह आंकड़ा छू नहीं पाया। इस प्रक्रिया के बाद मागो अपने पद पर बने रहेंगे। जैसे ही उनकी जीत की खबर बाहर आई। कांग्रेस पदाधिकारियों से कार्यकर्ता झूम उठे। उन्होंने कमलनाथ और नकुलनाथ के नारे लगाए। बता दें कि निगम सभागृह में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया सुबह 12 बजे प्रारंभ हुई। पीठासीन अधिकारी शीलेंद्र सिंह की अध्यक्षता में प्रक्रिया शुरू की गई। सदन में महापौर और पार्षद मौजूद रहे। कैमरा और मोबाइल हाउस के भीतर लाने की मनाही थी। करीब 2 घंटे तक चली कार्यवाही में कांग्रेस के निगम अध्यक्ष सोनू मांगो के खिलाफ लाया गया अविश्वास गिर गया। उन्हें कांग्रेसी पार्षदों के अलावा विपक्ष से भी वोट मिले, फिर भी जरूरी मत वे हासिल नहीं कर पाए।
गुटबाजी में उलझकर रह गई भाजपा
भाजपा को पहले ही गुटबाजी का अंदाजा था। ऐसे में सोमवार को दिनभर अपने पार्षदों को एकजुट करने में बीजेपी नेता जुटे रहे। भाजपा प्रदेश प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने मोर्चा संभालते हुए भाजपा कार्यालय में पार्षदों से अलग-अलग चर्चा भी की थी। सबनानी ने कहा था कि हमारी प्राथमिकता है कि कांग्रेस के निगम अध्यक्ष को हटाया जाए। सबनानी ने पार्षद दिवाकर सदारंग के घर भी पहुंचे थे। उन्होंने पूर्व मंत्री चौधरी चंद्रभान के गुट के पार्षदों से भी बात की थी। हालांकि इन सबके बाद भी हाउस में गुटबाजी नजर आई, क्योंकि वोटिंग के दौरान विपक्ष के 7 पार्षदों ने कांग्रेस अध्यक्ष के पक्ष में वोट डाले।
निष्पक्ष चुनाव कराने कलेक्टर से मिले मागो
निगम अध्यक्ष सोनू मागो ने सोमवार को कलेक्टर शीलेंद्र सिंह से मुलाकात कर अविश्वास प्रक्रिया को निष्पक्ष तरीके से कराने की मांग की थी। उन्होंने गुप्त मतदान की मांग की थी। उन्होंने अध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया के लिए एक ही पेन के इस्तेमाल, सदन में मौजूद पार्षदों में दो तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पास होने और पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग की मांग की थी। इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे, पीपीसी उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी, निगम अध्यक्ष सोनू मांगो, पार्षद आकाश मोखलगाय सहित 14 पार्षद मौजूद रहे।
लोकतंत्र की जीत:सोनू मागो
विश्वास मत हासिल करने के बाद सोनू मागो ने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं, यह आज साबित हो गया। सेवा के लिए शहर की जनता ने चुनकर इस पद पर आसीन किया है। पहले भी हम जनता की सेवा कर रहे थे और अब भी जनता की सेवा करेंगे। मैं बीजेपी को कहना चाहता हूं जितनी ताकत उन्होंने निगम अध्यक्ष को हटाने में लगाई है। उतना परिश्रम मोक्ष धाम में लकड़ी दिलाने के लिए और गौ माता के आहार के लिए फ्रिक करते। भाजपा को फिक्र थी कि लोकतंत्र की हत्या करके अध्यक्ष को इस कुर्सी से कैसे हटाया जाए।
कलेक्टर ने कहा भाजपा बहुमत से दूर
अविश्वास प्रस्ताव की अग्रि परीक्षा में असफल होने के बाद भाजपा के नेता विजय पांडे ने कहा कि भाजपा को 27 मत मिले है, जबकि कांग्रेस को 21 मत मिले है। अब कलेक्टर को फैसला लेना है। हालांकि इस मामले में कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा बहुमत के आंकड़े को छू नहीं पाई है। जबकि नियमानुसार भाजपा को अविश्वास मत हासिल करने के लिए 32 मत हासिल करना था।