Home CITY NEWS पीड़िता से मिलने से पहुंचे अपर कलेक्टर की नहीं हो पाई मुलाकात

पीड़िता से मिलने से पहुंचे अपर कलेक्टर की नहीं हो पाई मुलाकात

एक दिन पहले हो चुकी डिस्चार्ज, प्रबंधन को दिए हर महीने कंट्रोल पेस्ट करने निर्देश, खबर प्रकाशन के बाद जागा प्रशासन

छिंदवाड़ा। जिला अस्पताल में मरीजों पर चूहों का हमला की खबरें प्रकाशन होने के बाद अपर कलेक्टर केसी बोपचे पांचवी मंजिल स्थित फीमेल वार्ड में पीड़िता गिरजा मालवी की कुशल क्षेम जानने पहुंचे। हालांकि पीड़िता को एक दिन पहले ही डिस्चार्ज कर दिया गया है। खबरें प्रकाशन के बाद तत्काल पीड़िता से मिलने पहुंचते तो शायद मुलाकात हो सकती थी। आज यह महज औपचारिकता साबित हुई। इसके बाद उन्होंने जिला अस्पताल के सभी वार्डों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में उन्होंने वार्ड में साफ सफाई की स्थिति देखी। वही उन्होंने दवाइयों के स्टोर, साम्रगियों के स्टोर, रजाई गद्दे चादर सहित अन्य स्टोर का जायजा लिया। चूहों ने कहां कितना सामान कुतरा है। चूहे कहां कहां से वार्ड तक पहुंच रहे हैं। इन स्थितियों से अवगत हुए।

उन्होंने बताया कि चूहे बेसमेंट से प्रवेश कर वार्डों में पहुंच जाते है। निरीक्षण के बाद अस्पताल की सभी समस्याओं को लेकर कलेक्टर को भी अवगत कराया है। कलेक्टर ने भी अस्पताल के रख-रखाव और साफ सफाई को लेकर दिशा निर्देश दे दिए है। वही हर महीने पेस्ट कंट्रोल कराने के निर्देश भी दिए है। बता दें कि सांझवीर अखबार ने अस्पताल में महिला पर हुए चूहे के हमले की खबर का प्रकाशन किया था। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मच गई है। आनन फानन में प्रशासन ने अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण में उन्होंने तत्काल प्रबंधन ने कंट्रोल पेस्ट कराने का निर्देश दिए। सिविल सर्जन ने बताया कि निर्देश के मुताबिक पूरे अस्पताल के वार्डों और गायनिकी वार्ड में पेस्ट कंट्रोल किया गया है। पेस्ट कंट्रोल में उपयोग दवा की गंध से चूहे भाग जाते है। इससे मरीजों सहित सामग्री को कुतरने से राहत मिलेगी। अब इस तरह हर महीने पेस्ट कंट्रोल किया जाएगा।

सुरक्षित नहीं अस्पताल के रिकार्ड

अस्पताल के गेट नंबर एक के पास मरीजों का रखा रिकार्ड सुरक्षित नहीं है। एक ही छोटे रूम में सालों का रिकार्ड रखा गया है। उसी रिकार्ड के बीच कर्मचारी बैठकर जैसे तैसे काम कर रहे है। चूहों को भगाने की दवा डालने के बाद उसकी गंध से कर्मचारियों का बैठना मुश्किल हो रहा है। यह रिकार्ड पर भी चूहों की नजर है। कर्मचारियों ने बताया कि कई बार इस मामले में सिविल सर्जन को अवगत कराया गया है। इसके बाद भी उन्हें कोई सुरक्षित कमरा नहीं दिया गया है।

बिखरा भोजन बन रही समस्या

अस्पताल में सुबह शाम मरीजों को बंटने वाला भोजन करने के बाद मरीजों के परिजन जहां खाते है वहां जूठन बिखेर देते है। वही भोजन करने के बाद आसपास ही थाली धो देते है। इससे भी जूठन पूरे अस्पताल में फैली रहती है। चूहे इसी जूठन को खाने के चक्कर में पहली मंजिल से पांचवे मंजिल तक पहुंच जाते है। यदि समय रहते इन समस्याओं पर नकेल नहीं कसी गई तो चूहों के आतंक पर रोक लगा पाना मुश्किल है।

खुले में रखा रहता है बॉयोवेस्ट

जिला अस्पताल में चूहे धूसने का जूठन के अलावा एक और कारण बॉयोवेस्ट है। जो सर्जिकल वार्ड, ओटी और गायनिकी वार्ड से निकलता है। इस वायोवेस्ट को उनकी निर्धारित जगह पर नहीं रखा जाता। आए दिन देखने में आया है कि बॉयोवेस्ट यहां वहां पन्नियों में बांधकर रख दिया जाता है। चूहे इन पन्नियों को कुतरकर खबरा अंग खा जाते है। इसी चक्कर में चूहे अस्पतालों के वार्ड में पहुंच रहे है।