
भागवतदेवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में किया संबोधित, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय को किया सम्मानित
इंदौर. भारत का स्व राम, कृष्ण एवं शिव है. राम दक्षिण भारत को उत्तर भारत से जोड़ते है. कृष्ण पूर्व से पश्चिम को और शिव भारत के कण कण में है. देश राम को प्रमाण मानता है और हमारी प्रकृति में भी है. भारत की 5000 वर्ष पुरानी परंपराओं ने ही सेकुलरिज्म सिखाया है. राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन स्व की जागृति का आंदोलन था. भारत की रोजी-रोटी का रास्ता राम मंदिर से होकर जाता है. भारत जीवन के मूल्यों के लिए जाना जाता है, यह विचार दुनिया को मार्ग दर्शन दे रहा है.
यह बात मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत ने कही. वे अहिल्या उत्सव समिति आयोजित देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में संबोधित तक रहे थे. देवी अहिल्या उत्सव समिति द्वारा राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार एवं एकलखा नकद और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया. संस्था के अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि कि आज यह मनी कंचन सहयोग है कि इतने दोनों बड़े पुरोधा एक साथ इस मंच पर विराजित हैं. इंदौर में स्थापित किए जाने वाले अहिल्या स्मारक के बारे में भी जानकारी दी गई. समारोह में सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, रामस्वरूप मूंदडा, अविनाश भांड, सौरभ खंडेलवाल, सुधीर दांडेकर, निलेश केदारे, ज्योति तोमर, सुनील धर्माधिकारी, ज्योत्सना खराटे,सरयू वाघमारे, योगेश लंभाते, संजय जोशी अविनाश भांड मौजूद थे. समारोह में चयन समिति के न्यायमूर्ति वीएस कोकजे, पुरुषोत्तम पसारी, विकास दवे का भी स्वागत किया गया. अतिथियों को स्मृति चिन्ह सुनील धर्माधिकारी,प्रशांत बडवे, सुधीर दांडेकर, अतुल बनवड़ीकर, अनिल भोजे अपने प्रदान किया. सम्मान पत्र का वचन प्रकाश परवानी ने किया. अंत में आभार विनीता धर्म ने माना.
लाखों लाख लोगों के पुरुषार्थ से बना मंदिरः राय
राय ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना का काम लाखों लाख लोगों के पुरुषार्थ से संपन्न हो पाया है. अहिल्या उत्सव समिति ने जिस भावना से यह पुरस्कार प्रदान किया है, मैं उसे प्रतीक रूप से स्वीकार कर रहा हूं. इसके असली हकदार वे कारसेवक, निर्माता एवं अधिकारी की बड़ी श्रृंखला है. ऐसे लोगों की जिनके सहयोग के बिना इस पुनीत राम मंदिर निर्माण संभव नहीं था. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ में उन सभी लोगों को भावुकता से याद जाना चाहिए, जिन्होंने इस यज्ञ में अपनी आहुति प्रदान की है. उन्होंने वर्ष 1928 से राम जन्मभूमि के अलग-अलग संघर्षों की गाथा को बताते हुए सभी पुरोधाओ को याद किया. सभी के प्रति नमन कर पुरस्कार उन सभी को समर्पित है. चंपत राय ने उपस्थित समुदाय को अयोध्या आमंत्रित करते हुए कहा कि यह मंदिर राष्ट्र के मान का तो प्रतीक है ही, भारत की मूंछों का भी मंदिर है.