भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया
देश में महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। केन्द्र और प्रदेश सरकारें पूरे जोर-शोर के साथ अध्यात्म के इस महापर्व की सफलता हेतु जुटीं है। प्रचार-प्रसार से लेकर व्यवस्थाओं तक में युद्धस्तर के प्रयास देखने को मिल रहे हैं। दूसरी ओर विभिन्न् प्रान्तों में प्राचीनकालीन मंदिरों की खोज में विभिन्न संगठन अपनी शक्तियों को झौक रहे हैं। अनेक स्थानों पर आक्रान्ताओं व्दारा स्थापित किये गये मजहबी केन्द्रों को सनातनी देवालयों के रूप में चिन्हित करने हेतु न्यायालयीन प्रक्रिया भी चल रही है। ऐसे में कट्टरपंथियों की जमातें चुपचाप पर्दे के पीछे से षडयंत्र करने में जुट गईं हैं। गुप्त सूचनाओं के आधार महाकुम्भ में अप्रिय घटनाओं को अंजाम देने के लिए सीमापार से भारत के मीर जाफरों की फौज को सक्रिय कर दिया गया है, जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में छद्मवेष धारण करके राष्ट्र विरोधी, मानवता विरोधी और समाज विरोधी कार्यों को अपने आकाओं के आदेशों पर निरंतर सम्पन्न कर रहे हैं। आतंक के आकाओं की विध्वंसात्मक सरगर्मियों की जानकारी होते ही शासन ने प्रयागराज में सीबीआरएनई टीम गठित कर दी है जो कैमिकल अटैक से निपटने में सक्षम बताई जाती है। इसी तरह बम निरोधी दस्तों की संख्याओं में भी इजाफा किया गया है। साइबर अटैक से निपटने के लिए विशेषज्ञों की सेवायें सुनिश्चित की गई है। एनआईए व्दारा विशेष चौकसी बरतने हेतु गुप्त स्थान निर्धारित किये जा चुके है जहां से आयोजन स्थल पर पूरी तरह से निगरानी की जा सकेगी। कहा जाता है कि ऐसे ही अनेक प्रयासों को मूर्तरूप देने में जुटी सरकार के सुरक्षात्मक उपायों की जानकारी सरकारी सेवाओं मे मौजूद कट्टरवादी अपने सरगनाओं को निरंतर भेज रहे हैं। सूत्रों की मानें तो देश के अन्दर सक्रिय आतंकी संगठनों के अलावा दुनिया भर के कट्टरपंथियों के अलग-अलग गिरोहों ने भी श्रध्दालुओं के वेष में प्रयागराज पहुंचकर वहां के अखाडों, धार्मिक संस्थाओं और समाजसेवी संगठनों में घुसपैठ बना ली है। इन्होंने स्वयंसेवी कार्यकर्ता के रूप में अनेक खेमों में अपने सेवायें देने के नाम पर उत्तरदायी लोगों का विश्वास जीतना शुरू कर दिया है। शाही स्नान से लेकर वीआईपी मूवमेन्ट तक को निशाना बनाने के षडयंत्र के साथ-साथ आम श्रध्दालुओं को आहत करने, सनातन पर आघातकरने तथा भय का वातावरण निर्मित करने के मंसूबों को पूरे करने हेतु आधार तैयार कर लिया है। विश्वमंच पर देखें तो समूची दुनिया के सामने पाकिस्तान के बाद अब बंगलादेश की सरकार के संरक्षण में भी हिन्दुओं पर 2000 से अधिक पूर्वनियोजित आक्रमण खुलेआम हुए हैं। हाल ही में वहां के दिनाजपुर तथा मैमनसिंह इलाकों में मंदिरों में जमकर तोडफोड की गई। मूर्तियों को खण्डित किया गया। श्रध्दालुओं की हत्यायें की गईं। हलुआघाट में भी दो मंदिरों की तीन मूर्तियां कट्टरता की भेंट चढ गईं। यह सब वहां की पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और सरकार के नुमाइन्दों के सामने होता रहा। बेलडोरा संघ में पोलाशकंद काली मंदिर में भी ऐसा ही कृत्य सामने आया। संयुक्तराष्ट्र संघ के सामने लम्बे समय से हिन्दुओं पर अनेक देशों की सरकारों के संरक्षण में हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है परन्तु वहां के उत्तरदायी अधिकारी मौन हैं। जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ व्दारा मुसलमानों के लगाये जाने वाले झूठे आरोपों पर तत्काल सक्रियता दिखाई जाती है, अपने समीक्षा दल पहुंचाता जाता है और जारी कर दी जाती है निर्देशों की लम्बी फेरिस्त। ताजा घटना क्रम में जर्मनी के मैगडेबर्ग में एक क्रिसमस मार्केट में कट्टरपंथी तालिब अल अब्दुलमोहसेन ने गाडी से भीड को रौदकर सरेआम आतंक का परचम फहराया जिसमें दर्जनों लोग प्रभावित हुए। आरोपी कट्टरपंथी ने 18 साल पहले साउदी अरब से यहां आकर मनोचिकित्सक का जाम पहन लिया था। तालिब अल अब्दुलमोहसेन को साउदी अरब ने मोस्टवांटेड अपराधी घोषित कर रखा है जिस पर आतंकवाद फैलाने, यूरोप और खाडी के देशों से लडकियों की तस्करी करने जैसे अनेक आरोप पंजीकृत है। इस आरोपी को साउदी अरब प्रत्यार्पित करने तथा राजनैतिक शरण देने के मामले लम्बे समय से फाइलों में बंद पडे रहे। जर्मनी की राजधानी बर्लिन से 150 किलोमीटर दूर सैक्सोनी-एन्हाल्ट की राजधानी मैगडेबर्ग के व्यस्ततम इलाके में घटी इस घटना ने 8 साल पहले क्रिसमस के मौके की वारदात की यादें ताजा कर दी जिसमें एक ट्यूनीशियाई नागरिक अनीस अमरी ने बर्लिन के एक भीड भाड वाले क्रिसमिस बाजार में ट्रक से भीड को कुचला था। ऐसा ही 14 जुलाई 2016 को भी फ्रांस के नीस शहर में समुद्र के किनारे लोकतंत्र की स्थापना के मनाये जाने वाले जश्न के दौरान भी हुआ था। तब इस्लामिक स्टेट के आतंकी ने 70 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रक व्दारा 2 किलोमीटर तक लोगों को रौदा था। अलकायदा तथा इस्लामिक स्टेट ने अमेरिका से सीखे इस लोन वुल्फ अटैक के नायब तरीकों को अपनी आक्रामक नीतियों में प्रमुखता से शामिल कर लिया है। यमन, सीरिया और ईराक में संरक्षित खूंखार आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता अबू मोहम्मद अल अदनानी ने सितम्बर 2014 को तो खुलेआम लोन वुल्फ अटैक की अपील की थी। अपुष्ट सूत्रों की मानें लोन वुल्फ अटैक सहित आतंक की अनेक विधाओं को अमली जामा पहाने हेतु सीमापार बैठे हैन्डर्स व्दारा भारत में सक्रिय अपने धरातली एजेन्टों को भारी मात्रा में पैसा, हथियार और विस्फोटक पहुंचाया जा चुका है। महाकुम्भ में सेवक, संत, साधु जैसे छद्मवेषधारियों व्दारा मानवबम, ड्रोन अटैक, लोन वुल्फ अटैक, टाइमबम, सीरियल ब्लास्ट, शार्ट सर्किट, अग्निकाण्ड, भगदड, अफवाह जैसे हथियारों के उपयोग की आशंका तीव्र होती जा रही है। ईमानदाराना बात तो यह है कि महाकुम्भ पर मडराता आतंक का साया आयोजकों के लिए एक बडी चुनौती बन गया है। इस हेतु आम आवाम को भी सजग, सचेत और सावधान रहने की आवश्यकता है तभी आस्था की डुबकी से अध्यात्मिक संपदा प्राप्त की जा सकेगी। इस बार बस इतनी ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।