अभी भाजपा की मशीनरी झारखंड और महाराष्ट्र तथा संगठन चुनाव में व्यस्त है. सूत्रों का कहना है कि नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले हफ्ते से मध्य प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की शुरुआत हो जाएगी. निगम मंडलों के अलावा दीनदयाल अंत्योदय समितियों का गठन किया जाएगा इसी के साथ सहकारिता क्षेत्र में भी राजनीतिक नियुक्तियां किए जाने की तैयारी है. दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव विकेंद्रीकरण के प्रबल पक्षधर हैं. जिलों की समस्याएं जिलों में ही हाल की जाए इस उद्देश्य से कार्य योजना बनाई जा रही है. सूत्रों का मानना है कि मध्य प्रदेश में अब एक बार फिर जिला सरकार की वापसी हो रही है. जिले में कौन सा विकास कार्य पहले किया जाना है और कौन सा काम बाद में होगा, यह जिले में ही तय होगा. पूर्व की तरह जिला योजना समिति प्राथमिकताएं निर्धारित करेंगी. योजनाओं को अनुमोदित करने का अधिकार प्रभारी मंत्रियों को मिलेगा. जिला योजना समिति की बैठक भी प्रत्येक तीन माह में करनी होगी. इसमें जिले में चल रही योजनाओं की समीक्षा भी की जाएगी. समिति में 10 से लेकर 20 तक सदस्य रहेंगे. मोहन सरकार का गठन होने के बाद से जिला योजना समितियों की व्यवस्था ठप पड़ी थी.
प्रभारी मंत्री न होने के कारण कलेक्टर-कमिश्नर ही पूरा काम देख रहे थे. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संभागीय मुख्यालयों पर समीक्षा बैठकें प्रारंभ करके जनप्रतिनिधियों को इससे जोड़ने का काम किया. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी मिले और जनता की समस्याएं त्वरित रूप से हाल की जाएं. मुख्यमंत्री विधायकों से भी लगातार संपर्क संवाद करके उनके क्षेत्र की समस्याओं को जान रहे हैं।विधायकों से सभी विधानसभा क्षेत्रों का आगामी चार वर्ष का दृष्टि पत्र बनवाया जा रहा है. इसके आधार पर कामों की प्राथमिकता निर्धारित होगी. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में सरकार 100 करोड़ रुपये व्यय करेगी, जिसकी व्यवस्था सांसद और विधायक निधि के अलावा जन सहभागिता और राज्य सरकार के बजट से की जाएगी.
अब व्यवस्था के विकेंद्रीकरण के लिए जिला योजना समितियों सक्रिय किया जा रहा है. इसमें प्रभारी मंत्री की भूमिका अहम रहेगी. समिति जिले की प्राथमिकता के आधार पर जिले की योजना बनाएगी. ऐसे कार्य, जिन पर निर्णय जिला स्तर पर ही लिया जा सकता है, उन पर समिति ही अंतिम निर्णय कर लेगी. ऐसे काम जिसके लिए अनुमति शासन स्तर पर लेना अनिवार्य होगा, उसकी अनुशंसा समिति द्वारा कर दी जाएगी. इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर समिति द्वारा रखी जाएगी. निरीक्षण के अधिकार समिति के सदस्यों को रहेंगे. सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने जिला योजना समिति के संबंध दिशानिर्देश का प्रारूप भी तैयार कर लिया है, जिसे मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद जारी किया जाएगा.