Home CITY NEWS सचिवों पर मेहरबान प्रशानिक अधिकारी

सचिवों पर मेहरबान प्रशानिक अधिकारी


जिंदा को मृत कर दिया घोषित, शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

छिंदवाड़ा। जिले के पीडि़तों को न्याय दिलाने बनाई गई सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई महज दिखावा साबित हो रही है। सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई में शिकायत करने के बाद भी पीडि़तों को न्याय नहीं मिल रहा है। पीडि़त न्याय के लिए सीएम हेल्प लाइन में आवेदन करने के साथ साथ कलेक्टर कार्याल के भी चक्कर काट रहे है। इसका उदाहरण जिले की परासिया पंचायत में देखने मिल चुका है। जहां जिले के प्रशानिक अधिकारी सचिवों पर मेहरबान है। जो भ्रष्टाचार की खुलेआम गंगा बहा रहे है। बागबर्धिया ग्राम पंचायत में सचिव ने खुद की शिकायत बंद करने शिकायत कर्ता को ही मृत घोषित कर शिकायत बंद करवा दी। वहीं ग्राम पंचायत इकलहरा में भी सचिव ने एक वृद्धा का समग्र आईडी से नाम काट दिया है। इसके बाद से वृद्धा को पेंशन से लेकर केंद्र और प्रदेश की योजनाओं से वंचित हो गई है। दोनों पीडि़त जिंदा होने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन दोनों मामलों की जनसुनवाई में कलेकटर शोलेंद्र सिंह से शिकायत हो चुकी है। इसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस तरह जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की शरण में सचिव फल-फूल रहे है।


प्रकरण नंबर 1-पीडि़त जनसुनवाई में कर चुका शिकायत


परासिया जनपद की बागबर्षिया पंचायत में पीडि़त शिकायत कर्ता कैलाश राठौर ने सचिव कृष्णा चंद्रवंशी के भ्रष्टाचार की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की थी। जिसके बाद वहां से जांच के आदेश संबंधित जनपद कार्यालय को दिए गए। जनपद कार्यालय में सचिव ने अधिकारियों की मिली भगत से शिकायत कर्ता कैलाश को दुर्घटना में मृत बताकर सीएम हेल्पलाइन की शिकायत को बंद कर दिया। जब पीडि़त को मोबाइल पर मैसेज आया, तो उसने 181 पर फोन लगाया। से उन्होंने बताया कि शिकायत कर्ता की दुर्घटना में मौत हो गई है। अपकी मौत के बाद अंत्येष्टी राशि भी निकल गई है, तो पीडि़त ने कहा मैं जिंदा हूं। इसके बाद वहां से फोन काट दिया गया। जब वहां से कागज आया तो उसमें बकायदा दुर्घटना में मौत और अंत्येष्टी राशि का जिक्र था। अब पीडि़त अपने जिंदा होने के लिए अधिकारियों की चौखट पर नाक रगड़ रहा है। इस मामले में उसने जनसुनवाई में शिकायत की है। अभी तक कलेक्टर ने भी इस मामले में कोई कार्रवाई के दिशा निर्देश नहीं दिए है।


प्रकरण नंबर 2-नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ


इधर दूसरे प्रकरण में ग्राम पंचायत इकलहरा सचिव सम्पत नागवंशी ने अपनी ही पंचायत की एक वृद्धा उम्मतून निशा का समग्र आईडी से नाम काटकर मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उसे पेंशन मिलना बंद हो गई। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश सरकार की अन्य योजनाओं से भी वंचित हो गई। जी गरीबी रेखा के तहत जो अनाज मिलता था। जैसे तैसे उसमें गुजर बसर कर रही थी। अब वह वृद्धा पंचायत और जनपद के अधिकारियों की चौखट पर नाक रगड़ रही है। अभी तक उसे अधिकारियों से न्याय नहीं मिला है। इस तरह सचिव ने वृद्धा से बुढ़ापे का सहारा छीन लिया।