Home CITY NEWS छिंदवाडा जिले में है खनिज और वन संपदा

छिंदवाडा जिले में है खनिज और वन संपदा

छिंदवाडा।छिंदवाडा वैसे तो प्राकृतिक सौंदर्य के प्रसिद्ध है। यह जिला समुद्री तल से 3200 फिट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। हम इस जिले की बात करें तो यह गोंडवाना साम्राज्य की बस्ती है। यहां देवगढ़ का किला है। देवगढ़ का प्रारंभिक इतिहास प्राचीन गुप्त काल से जुड़ा वास्तुशिल्प विकास का है, जो उत्तरी भारत में चौथी और छठी शताब्दी के बीच विकसित हुआ था। इस अवधि के दौरान, कला, विज्ञान और साहित्य में सौंदर्य विकास देखा गया। यह वह काल था जब ब्राह्मणवादी , बौद्ध और जैन गतिविधियाँ फली-फूलीं। छिंदवाडा लोकसभा में कुल सात विधानसभा है। इसमें छिंदवाडा, परासिया, चौरई, अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, सौंसर और पांढुर्ना। यहां की कुल जनसंख्या लगभग 25 लाख के करीब है। 16 लाख 82 हजार के करीब मतदाता है। इसमें 37 फिसदी आदिवासी है।

इस लिहाज से यह आदिवासी बाहुल्य जिला है। यहां वनसंपदा में चिरौंजी विश्व प्रसिद्ध है। इसके अलावा हर्रा, बहेड़ा, आंवला, लाख, गोंद, महुआ, और अन्य बनोपज शामिल है। पर्यटक की दृष्टि से भी यह जिला प्रसिद्ध है। यहां विश्वप्रसिद्ध पातालकोट है। जो दुर्गम पहाड़ियों की तलहटी में बसा हुआ है। जिसमे आदिवासी भरिया जनजाति निवास करती है। मध्यप्रदेश सरकार ने भरिया को बिलुप्त श्रेणी में रखा है। कहते है वर्षों पहले जड़ों के सहारे भरिया ऊपर आते थे। फिर सरकार ने सीढियां बनवाई। अब सरकार ने भरिया जनजाति के लिए विकास के द्वार खोल दिये है। यहां सड़क, बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधा प्रदान की है। बही प्रदेश सरकार योजनाएं चला रही है। विशेष बजट की व्यवस्था की है। आदिवासियों की मुख्य फसल कोदो, कुटकी और बाजरा है। कृषि क्षेत्र में जिला मक्का उत्पादन में प्रदेश में पहले पायदान पर है। वही गेहूं चना अरहर और गन्ना भी प्रचुर मात्रा में होता है। पांढुर्ना और सौसर में संतरे के लिए जाना जाता है। यहां कपास का भी काफी मात्रा में उत्पादन होता है। खनिज संपदा की बात करें सौसर में डोलोमाइट, मैंगनीज की खदानें है। वही परासिया काले हीरे यानी कि कोयला खदान के जाना जाता है। हालांकि छिंदवाडा मुख्य रूठ पर नहीं है। कुछ सालों में यहां रेलों का विस्तार हुआ है। भोपाल, इंदौर, दिल्ली, नागपुर और जबलपुर से जुड़ गया है।