सतना।हर वर्ष दीपावली मेला के दौरान चित्रकूट में लगने वाला गधा मेला में बिकने के लिए सैकड़ो की तादाद में उनके पालक लेकर पहुँचे. बताया गया है कि सबसे मंहगे बिके गधे की कीमत 80 हजार रही है. हालांकि यह पहला मौका नही है जब गधे की इतनी कीमत उसके पालक को मिली है.
मेला के दौरान मंदाकिनी तट पर लगा हुआ है इस मेला,600 जानवर पहुंचे हैं इस बार मेले में, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लगभग दो दर्जन जिले से लोग अपने जानवरो के साथ यहाँ पहुंचे हैं. गधों व खच्चरों की इस मंडी में व्यापारी व खरीददार देने सालभर के इंतजार के बाद पहुँचते हैं. जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन इस आयोजन के लिए व्यापारियों को स्थान उपलब्ध कराने के साथ साफ-सफाई व अन्य व्यवस्थाओ पर नजर रखता है. बताया गया है कि गधों की खरीददारी करने वाले व्यापारी भी कई राज्यो से यहाँ पहुँचते हैं. शुक्रवार दोपहर तक इस मेले में 60 से 70 गधो का सौदा हो चुका था, सबसे महंगा 80 हजार का खच्चर का बिका .
औरंगजेब ने शुरू की यह परम्परा
चित्रकूट में गधों का मेला हर साल दिवाली के दूसरे दिन से लगता है, और यह तीन दिनों तक चलता है । यह मेला मुगलकाल में औरंगज़ेब के ज़माने से लग रहा है । मान्यता है कि जब औरंगज़ेब चित्रकूट पहुंचे थे, तब रसद और असलहे ढोने वाले गधे और खच्चर बीमार पड़ने लगे थे । इस पर किसी ने औरंगज़ेब को सलाह दी कि यहां गधों का मेला लगाया जाए । इस मेले में देश के अलग-अलग प्रदेशों और विदेश से भी व्यापारी और खरीदार आते हैं । इस मेले में अच्छी नस्ल के गधों और खच्चरों की कीमत हज़ारों से लाखों में होती है।