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राजधानी के परेड ग्राउंड में सीएम ने ली सलामी, धूमधाम से मनाया जा रहा स्थापना दिवस

भोपाल। प्रदेश में ‘मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में मध्य प्रदेश के 69वें स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ किया। सीएम ने लाल परेड ग्राउंड में ध्वजारोहण कर समारोह की शुरुआती की। इस दौरान सीएम ने दीपावली और स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश की उपलब्धियों को गिनाया।साथ ही मुख्यमंत्री ने सेना द्वारा लगाई गई सैन्य उपकरणों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। साथ ही, आर्मी बैंड की प्रस्तुति दी गई। प्रदेश के छात्र-छात्राओं ने मलखंब, नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। जिले के सांसद विवेक बंटी साहू ने भी प्रदेश वादियों को प्रदेश के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की है।

प्रदेश का 69वां राज्य उत्सव

सीएम मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश अपनी गौरवशाली परंपराओं को सहेजते हुए विकास और प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर है। सरकार द्वारा दशहरे पर शस्त्र-पूजन और दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाना इस बात का प्रतीक है। सीएम ने आगे कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि दीपावली की शुभ घड़ी में प्रदेश का 69वां राज्योत्सव मनाया जा रहा है।

कार्यक्रम का कल होगा समापन

मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है। इस साल मध्य प्रदेश अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है। समारोह 4 दिन तक हर्षोउल्लास से मनाया जाएगा। 30 अक्टूबर बुधवार से इसकी शुरुआत हुई, उस दौरान मध्य प्रदेश गान और बैंड प्रदर्शन हुआ। 31 अक्टूबर को लाल परेड ग्राउंड में विकास प्रदर्शनी लगाई गई, जबकि आज 1 नवंबर को स्थापना दिवस की शाम भोपाल के रविंद्र भवन में संगीतमय कार्यक्रम होगा। इस मौके पर प्रदेशभर में विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जबकि 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा के दिन गौ-पूजन कार्यक्रम के साथ इस चार दिवसीय समारोह का समापन होगा।

जानिए देश का हृदय स्थल मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश अपनी प्राकृतिक और भौगोलिक विविधता के लिए जाना जाता है। यहाँ विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएँ तथा नर्मदा और ताप्ती जैसी धार्मिक नदियाँ बहती हैं। नर्मदा विश्व की एक मात्र नदी है जो उल्टी बहती है। यह राज्य कान्हा, बांधवगढ़ और पेंच जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों है, जो इसकी जैव विविधता को संजोए हुए हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से यहाँ आदिवासी परंपराएँ, तानसेन संगीत समारोह और खजुराहो नृत्य महोत्सव जैसे आयोजन विशिष्ट बनाते हैं। साथ ही, खजुराहो के मंदिर, साँची के स्तूप और ओरछा के किले राज्य की ऐतिहासिक विरासत को समृद्ध बनाते हैं।मध्य प्रदेश अपनी सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के कारण विशेष स्थान रखता है। इसे “भारत का हृदय” कहा जाता है क्योंकि यह देश के भौगोलिक केंद्र में स्थित है। यहां खजुराहो के मंदिर, सांची के बौद्ध स्तूप और भीमबेटका की गुफाएं जैसे विश्व धरोहर स्थल मौजूद हैं। यह राज्य कई राष्ट्रीय उद्यानों, आदिवासी परंपराओं, और तानसेन संगीत समारोह और खजुराहो नृत्य महोत्सव जैसे प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है।

खींचतान के बाद भोपाल को बनाया राजधानी

मध्य प्रदेश 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद भोपाल, विंध्य प्रदेश, मध्य भारत, सेंट्रल प्रोविंस और बरार को मिलाकर मध्य प्रदेश बना। इसकी राजधानी को लेकर इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के बीच खींचतान भी हुई, लेकिन सरकारी सुविधाओं की उपलब्धता के कारण भोपाल को राजधानी घोषित किया गया। भौगोलिक रूप से भारत के केंद्र में स्थित होने के कारण इसे “देश का दिल” और “ह्रदय प्रदेश” भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश के बारे में खास बातें

आज मध्य प्रदेश की स्थापना दिवस पर आपके लिए यहां से जुड़े कुछ ऐसी बातें और तथ्य लेकर आए हैं, जो इसकी अनूठी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विशेषताओं को उजागर करते हैं।

  1. भारत का हृदय : मध्य प्रदेश को अक्सर “भारत का हृदय” कहा जाता है, क्योंकि यह भौगोलिक दृष्टि से देश के केंद्र में स्थित है। यहां कटनी जिले में करौंदी गांव कर्क रेखा पर स्थित है। विश्व के 18 देशों और भारत के आठ राज्यों से गुजरने वाली कर्क रेखा इस गांव से गुजरती है। विंध्याचल पर्वत श्र्खला की पहाड़ियों के ढलान में बसे इस गांव को इसी खासियत की वजह से देश का दिल भी कहते हैं।
  2. उज्जैन महाकाल मंदिर : उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख तीर्थ है, जहाँ महाकाल रूप में भगवान शिव स्वयंभू माने जाते हैं। यह मंदिर अपनी भव्य भस्मारती और आध्यात्मिक महत्ता के कारण श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
  3. प्राकृतिक धरोहर : मध्य प्रदेश में भारत के सबसे बड़े वन क्षेत्र हैं, जो यहाँ की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करते हैं। इस राज्य में 9 प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनमें कान्हा, बांधवगढ़, और पेंच जैसी जगत प्रसिद्ध अभ्यारण्य शामिल हैं।
  4. सांची स्तूप और भीमबेटका : सांची का स्तूप जो सम्राट अशोक के समय में निर्मित हुआ था, और भीमबेटका की प्राचीन गुफाएँ, जहाँ हजारों साल पुराने शैलचित्र हैं, दोनों यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। भीमबेटका की गुफाएँ भारत की सबसे पुरानी कला रूपों का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं
  5. खजुराहो के मंदिर : खजुराहो के मंदिर अपनी बारीक नक्काशी और मूर्तिकला के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। ये मंदिर मध्ययुगीन भारतीय स्थापत्य कला के अद्वितीय उदाहरण हैं और यहाँ की मूर्तियाँ मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।
  6. हीरे और खनिजों का खजाना : मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा हीरा उत्पादक राज्य है। यहाँ पन्ना जिले में स्थित खदानें विश्व प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा यह राज्य कोयला, कॉपर और बॉक्साइट जैसे खनिज संसाधनों से भी समृद्ध है।
  7. सांस्कृतिक विविधता : यहां निमाड़, मालवा, बुंदेलखंड, बघेलखंड और ग्वालियर (चंबल) जैसे सांस्कृतिक क्षेत्र हैं, जो लोक कला, संगीत और नृत्य की विविधता का प्रतीक हैं। यहाँ कई जातीय जनजातियाँ जैसे गोंड, भील और कोरकू रहती हैं, जो अपनी अनूठी परंपराओं और उत्सवों के लिए प्रसिद्ध हैं।
  8. नर्मदा नदी : नर्मदा नदी भारत की पवित्र और जीवनदायिनी नदियों में से एक है, जो अमरकंटक से निकलकर पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में मिलती है। इसे “रेवा” भी कहा जाता है और यह विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बहते हुए अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों से होकर गुजरती है।
  9. जल महोत्सव : नर्मदा नदी पर इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में हनुवंतिया टापू स्थित है। यहाँ हर साल भारत का एकमात्र जल महोत्सव आयोजित किया जाता है, जो साहसिक खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अद्भुत संगम है।
  10. श्रीकृष्ण से संबंध : उज्जैन में सांदीपनि आश्रम में भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। यह पौराणिक स्थान हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इसे विशेष माना जाता है।