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अस्पताल में वेंटीलेटर पर इमरजेंसी बिजली सेवा

अस्पताल में एक घंटे गुल रही बिजली, मोबाइल की रोशनी में हुआ इलाज

छिंदवाड़ा।मेडिकल संबद्ध जिला अस्पताल में इमरजेंसी बिजली सेवा वेटीलेटर पर दम तोड़ती नजर आ रही है। रविवार की दोपहर करीब 12 बजे बिजली गुल होने के बाद कर्मी जनरेटर चालू करने पहुंचा। फाल्ट होने के कारण जनरेटर भी चालू नहीं हो पाए। इस दौरान एक घंटे इस भीषण गर्मी में मरीज हलाकान होते रहे। इमरजेंसी बिजली सेवा भी पूरी तरह ठप रही। हालात यह रहे कि घायलों को मोबाइल की रोशनी में टांके लगाने पड़े। वही डाक्टरों को भी मोबाइल की रोशनी में मरीजों की जांच करनी पड़ी। इस दौरान तीसरी मंजिल में लिफ्ट में तकरीबन पांच से छह लोग करीब 15 मिनट फसे रहे। एक कर्मचारी ने जैसे तैसे उन्हें बाहन निकाला। इसमें एक मासूम भी शामिल था।
बता दें कि मेडिकल संबद्ध जिला अस्पताल में रविवार की दोपहर 12 बजे करीब अचानक बिजली गुल हो गई। हालांकि बिजली दिन में गुल हुई। यदि रात का समय होता तो हालात विपरीत होते। बिजली गल होने के बाद घायल मरीजों का मोबाइल की रोशनी में टांके लगाकर मरहम पट्टी की गई। वही डाक्टरों ने भी तकरीबन एक घंटे मोबाइल की रोशनी में मरीजों की जांच कर आपीडी पर्ची में दवा लिखते रहे। सबसे बड़ी बात है बिजली गुल होने के बाद जनरेटर सेवा बहाल कर बिजली की आपूर्ति की जाती है। लेकिन पूरे अस्पताल में दो दर्जन से अधिक जनरेटर है। एक भी जनरेटर चालू नहीं था। जिससे बिजली की आपूर्ति की जा सके। गर्मी के कारण मरीजों के हाल बेहाल हो गए। परिजन तौलिया या गमछे की मदद से उनकी हवा कर गर्मी से राहत दिलाते रहे। इस दौरान सिविल सर्जन से भी अस्पताल की खबर लेने की कोशिश नहीं की।

इन वार्डों में परेशान होते रहे मरीज

बिजली गुल होने का सबसे अधिक असर ओटी, आईसीयू वार्ड और वर्न वार्ड में देखा गया। हालांकि इस दौरान ओटी में कोई इमरजेंसी ऑपरेशन केस नहीं पहुंचा। वही आईसीयू में कोई मरीज वेंटीलेटर में नहीं था। सभी मरीज साधारण आक्सीजन पर थे। वही वर्न वार्ड में मरीजों को गर्मी के कारण जलन होने के कारण बहुत अधिक परेशान हुए। परिजन गत्ते के टुकड़े, गमछे और अन्य साधनों से मरीजों को हवा कर राहत पहुंचाते नजर आए।
लिफ्ट में फंसे आधा दर्जन लोग

बिजली गुल होने के बाद तीसरे मंजिल पर लिफ्ट

अचानक बंद हो गई। इस लिफ्ट में तकरीबन आधा दर्जन लोग फंसे रहे। इसमें पांच महिलाएं एक पुरूष सहित एक मासूम शामिल है। जो तकरीबन पंद्रह मिनट तक फंसे रहे। माूसम के हाल बेहाल हो गए थे। सायरन की आवाज सुनकर अस्पताल कर्मी सुनील असराठी ने अपनी सूझबूझ से चाबी से लिफ्ट का दरवाजा खोल सबको बाहर निकाला। तब कहीं जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। इस मामले में सिविल सर्जन ने बताया कि इमरजेंसी बिजली सेवा बहाल करने के लिए एक ही कर्मी है। जिसे जनरेटर चालू करने के लिए बोला गया था, लेकिन फाल्ट होने के कारण जनरेटर चालू नहीं हो पाए।

इमरजेंसी बिजली सेवा रही ठप

अस्पताल की बिजली गुल होने के बाद इमरजेंसी सेवा बिजली बहाल की जाती है, लेकिन यह सेवा ठप होने के कारण अस्पताल को बिजली नहीं मिल पाई। जबकि दो दर्जन तकरीबन जनरेटर है। वही एक सोलन बिजली का पावर हाउस भी है। इसके बाद भी अस्पताल में मरीज हलाकान होते रहे। वही इमरजेंसी बिजली के लिए प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए है। ऐसे में किसी भी मरीज की जान पर बन आ सकती है।

बिजली गुल होने के बाद भी नहीं खुली आंखें

एक घंटे बिजली गंली होने के बाद आनन फानन में इमरजेंसी बिजली बहाल करने प्रबंधन ने कर्मिंयो को दौड़ाया। जिसके बाद कर्मी जनरेटर चालू करते रहे। एक घंटे बाद भी जनरेटर चालू नहीं हो पाए। हालांकि जनरेटरों के हाल बेहाल हे। महीनों से उन्हें शुरू नहीं किया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि इन जनरेटरों का रखरखाव नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण जनरेटर भी दम तोड़ रहे है। इसलिए इमरजेंसी के समय जनरेटर भी चालू नहीं हो रहे।