Home CITY NEWS परंपरागत खेती से कमाए लाखो रुपये

परंपरागत खेती से कमाए लाखो रुपये

जिले के लिए बने आदर्श, जमीन बचाने किए देशी उपाए

छिन्दवाड़ा। प्राकृतिक खेती समृद्ध किसान और स्वस्थ पर्यावरण की कुंजी है।” इसी विचार को साकार करने के लिए प्रशासन और कृषि विभाग निरन्तर प्रयास कर रहा हैं। कृषि विभाग ने संचालित आत्मा परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित किया जा रहा है। इन्हीं प्रयासों का लाभ उठाकर विकासखंड मोहखेड के ग्राम चारगांव कर्बल के किसान रघुवर भादे ने अपनी खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन किया। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी न केवल किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह प्रशासन और विभाग के प्रयासों की सफलता को भी दर्शाती है।

कृषक रघुवर भादे की कहानी

रघुवर पिता स्व भैयालाल मादे भी पहले पारंपरिक रासायनिक खेती करते थे, लेकिन रासायनिक पद्धति के कारण उनकी खेती में लागत बढ़ रही थी। उर्वरक और दवाइयों पर अत्यधिक खर्च के कारण न केवल आय कम हो रही थी, बल्कि उनकी जमीन की उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो रही थी।

परिवर्तन की शुरुआत

मई 2022 में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित “प्राकृतिक खेती सेमिनार” ने श्री भादे को नई दिशा दी। इस सेमिनार में उन्होंने जीवामृत, पंचामृत, बीजामृत आदि बनाने इनके लाभ और अन्य जैविक विधियों के उपयोग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही आत्मा परियोजना के तहत पंचायत स्तर पर अधिकारियों ने दी। ट्रेनिंग से वे प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित हुए। उन्होंने 1 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक विधि से खेती शुरू की और टमाटर, मक्का, लौकी जैसी फसलों का उत्पादन किया। उन्होंने खेती में जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र और अग्निास्त्र जैसे जैविक उत्पादों का निर्माण कर खेती में उपयोग किया। इन प्रयासों से उनकी जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ी, जल धारण क्षमता में सुधार हुआ और मिट्टी में केचुओं की संख्या बढ़ी।

आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ- श्री भादे को 1 एकड़ जमीन में लगभग 80 हजार रुपये की बचत हुई। उनकी जमीन की उर्वरा शक्ति में सुधार हुआ और उत्पादन बेहतर हुआ। मिट्टी में जैविक गतिविधियों और जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि हुई।

प्रशासन और विभाग का सहयोग

जब प्रशासन और किसान मिलकर काम करते हैं, तो क्रांति संभव है।” श्री भादे की सफलता जिला प्रशासन और कृषि विभाग के सफल प्रयासों का एक बेहतर उदाहरण है। आत्मा परियोजना और सेमिनारों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता प्रदान की है । सरकारी योजना और तकनीकी मार्गदर्शन उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मददगार साबित हो रही हैं।

समाज के लिए संदेश

कृषक श्री भादे की कहानी यह सिद्ध करती है कि यदि किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं तो उनकी आय में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण का भी संरक्षण हो सकता है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग की सहायता से अन्य किसान भी इस दिशा में कदम बढ़ाकर अपनी किसानी को लाभदायक और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।