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सकल हिन्दू समाज ने बंग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर विरोध जताया

दशहरा मैदान से कलेक्ट्रेट तक निकाली रैली, राष्ट्रपति के नाम सौपा ज्ञापन

छिंदवाडा। सनातन चेतना मंच के आव्हान पर जिलें में 3 अलग-अलग स्थानों छिन्दवाडा पांढुर्णा एवं परासिया में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दू, एवं बौद्ध समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर सकल हिन्दू समाज ने विरोध जताया है। इस अवसर पर पोला ग्राउंड में हिन्दू समाज, समाजिक संगठनों, व्यापारी संगठन, अधिवक्ता, डॉक्टर, स्कूल एवं कॉलेज के विधार्थी एवं अन्य संगठनों के सदस्यों द्वारा समूहिक रूप से हजारो की संख्या में एकत्रित हुए। यहां से रैली के रूप में निकलकर फौव्वारा चौक, इंदिरा तिराहा, सत्कार तिराहा होते हुऐ कलेक्टोरेट कार्यालय पहुंचकर धरना प्रर्दशन कर ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम से जिला प्रशासन को सौपा। ज्ञापन के माध्यम से भारत के नागरिक और सकल हिंदू समाज के प्रतिनिधि, बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति अपनी गहरी चिंता और विरोध व्यक्त किया है। बताया गया कि बांग्लादेश में वर्तमान में जो अत्याचार चल रहे हैं, वे न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इनसे हमारे साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्य भी आहत हो रहे हैं।

हिंदुओ की संख्या में गिरावट

स्वतंत्रता के समय तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) में 22% हिंदू थे। किंतु उन्हें दी जा रही यातनाओं के कारण, तथा उनका वंशच्छेद (Genocide) करने के कारण, बांग्लादेश की पिछली जनगणना तक वहां मात्र 7.9% ही हिंदू बचे हैं। विशेषतः विगत 5 अगस्त को फैली हिंसा के बाद, बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय को लक्ष्य बनाकर, उनकी हत्याएं की जा रही है। उनके घर लूट जा रहे हैं। उनकी जवान बेटियों पर अत्याचार किए जा रहे हैं।

पांच हजार से अधिक हिंदुओं की हत्या

5 अगस्त से अब तक कुछ हजार हिंदुओं की हत्या की गई हैं। हिंदुओं पर हमले की 6,000 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। खुलना, रंगपुर, राजशाही, बारिसाल, चिटगांव, सिल्हट… इन सभी विभागों में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। पुलिस विभाग हिंदुओं की शिकायतें नहीं ले रहा है। बांग्लादेश प्रशासन ने, एक ही महीने में 252 हिंदू पुलिस अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया हैं। बांग्लादेश की पुलिस में अब एक भी हिंदू पुलिस अधिकारी नहीं बचा हैं।

हिंदुओं के मंदिरों की तोड़-फोड़

हिंदुओं के श्रद्धास्थान, मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। पिछले चार महीनों में 1 हजार से ज्यादा मंदिरों को ध्वस्त किया गया, तथा मंदिरों में स्थापित भगवान की मूर्तियों की विटंबना की गई। उन्हें तोड़ा गया।

बंगला देश मे हिन्दू असुरक्षित

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि बांग्लादेश में हिंदू अत्यंत असुरक्षित हैं। उन्हें कोई भी मूलभूत अधिकार नसीब नहीं हो रहा हैं। हिंदू समुदाय की हत्याओं का दौर जारी हैं। विगत दिनों बांग्लादेश सरकार ने, वहां के प्रमुख हिंदू संत एवं इस्कॉन के पदाधिकारी, चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी, को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया हैं। यह सब अत्यंत दुःखद हैं। हमारे पड़ोसी देश में हिंदुओं पर हो रहे इन पाशवी अत्याचारों से हम सब व्यथित हैं।

संत पर बनाये झूठे मुकदमे

हमारे पड़ोसी देश में हुई कुछ घटनाओं ने हमें गहरे आघात पहुँचाया है, जिनमें विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों पर किए गए हमलों की एक श्रृंखला शामिल है। 25 नवंबर 2024, ढाका में इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास जी को झूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय अधिकारों का उल्लंघन था।

ये है मामले

24 नवंबर 2024, बगेरहाटः एक हिंदू लड़की को जबरन धर्मातरण कर आतंकी संगठन में शामिल किया गया, जो एक गंभीर अपराध है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का प्रतीक है।

20 नवंबर 2024, बरिसालः हिंदू समुदाय के घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, जिससे उनकी संपत्ति और सम्मान को नष्ट कर दिया गया। 19 सितंबर 2024, सिलहटः बौद्ध और हिंदू मंदिरों को तोड़- फोड़ कर आग लगा दी गई, जो धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करने का एक प्रयास था।

इन घटनाओं में हजारों हिंदू, बौद्ध और ईसाई परिवारों को विस्थापित किया गया है और उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया है। उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले किए जा रहे हैं, जो न केवल बांग्लादेश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि हमारे समग्र मानवता के लिए भी एक खतरा हैं। ज्ञापन के माध्यम से मांग कि गई कि भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाए ताकि वहां अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिखित हो सके और धार्मिक स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके एवं हिन्दू संत स्वामी चिन्मय प्रभु की बिना शर्त रिहाई की जा सके। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से बांग्लादेश सरकार को इन अत्याचारों के लिए जवाचदेह ठहराया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया जाए। अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए ताकि इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति न हो। जिन हिंदू परिवारों को उनकी जमीन और घरों से बेदखल किया गया है, उन्हें उनके मूल स्थानों पर पुनस्र्थापित किया जाए। उनकी संपत्तियों को वापस दिलाया जाए।

ज्ञापन के माध्यम राष्ट्रपति को अवगत कराया गया कि यह केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह हमारी साझा सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक अस्मिता और पारस्परिक सम्मान पर भी हमला है। हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल और ठोस कदम उठाए जाएं ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा मिल सके और इन अत्याचारों को रोका जा सके। हम आशा करते हैं कि भारत सरकार इस विषय में सकारात्मक हस्तक्षेप करेगी और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। उक्त विरोध प्रर्दशन एवं धरना प्रर्दशन में मात शक्ति सहित लगभग 5000 की संख्या में समाज के बंधु उपस्थित रहे।