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सीएम और जनसुनवाई: 170 आवेदन के बाद भी जनता को नहीं मिला न्याय


एक साल से लगातार जनसुनवाई में लगा रहा आवेदन, सीएम और अधिकारी भी नहीं दिला पाए न्याय


छिंदवाड़ा।प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जनता को न्याय दिलाने जिला स्तर पर जनसुनवाई और प्रदेश स्तर पर सीएम हेल्प लाइन की शुरूआत की है। इससे आवेदक को यदि जिला स्तर पर न्याय न मिले तो प्रदेश स्तर पर न्याय की गुहार लगा सकता है। जब आवेदक को दोनों जगह न्याय न मिले तो वह न्याय की उम्मीद किससे करे। इसी तरह का एक मामला सामने आया है। जहां आवेदक ने पिछले एक साल तीन महीने में लगातार 170 आवेदन दिए है। इतना ही नहीं सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की है। इसके बाद भी आवेदक को न्याय नहीं मिला है। कुल मिलाकर जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन दोनों मजाक बनकर रह गई है। आवेदक अभी भी न्याय के लिए जनसुनवाई की चौखक पर नाक रगड़ रहा है। खास बात यह है कि आवेदक अपने लिए नहीं बल्कि आम जनता के लिए न्याय मांग रहा है। अब वह न्याय के लिए किसके पास जाए। हालांकि आवेदक का कहना है कि वह हार नहीं मानेगा। जब तक उसे न्याय नहीं मिलेगा वह जनसुनवाई में आवेदन लगाता रहेगा। भले ही इसके लिए हजारों रूपए खर्च हो जाए।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व छिंदवाड़ा में गृहमंत्री अमित शाह का दौरा था। इस दौरान वह गुलाबराव में एक भाजपा कार्यकर्ता के यहां भोजन करने जाने वाले थे। इस दौरान गुलाबराव की सडक़ों का सुधार कार्य किया गया। वही जितने भी स्पीड ब्रेकर थे सभी तोड़ दिए गए थे। इसके बाद से वहां दोबारा ब्रेकर नहीं बनाए गए। जबकि गुलाबराव शहर के सबसे घना क्षेत्र है। सकरे रास्ते है। आवगन 24 घंटे चालू रहता है। दिन के समय यहां की स्थिति और भयावक हो जाती है। ऐसे में आए दिन यहां दुर्घटनाएं होना आमबात हो गई है। पिछले एक साल में सौ से ज्यादा दुर्घअनाएं हो चुकी थी। इन दुर्घटनाओं को देखते हुए समाजसेवी दयानंद चौरसिया ने दोबारा स्पीड ब्रेकर बनवाने का बीड़ा उठाया। उसने नगर निगम में कमिश्नर को आवेदन दिए। इसके बाद जब वहां सुनवाई नहीं हुई तो उसने जनसुनवाई का सहारा लिया। उसे लगा कि जनसुनवाई में कलेक्टर से न्याय मिल जाएगा। यहां भी वह सिर्फ आवेदन की लगाता आ रहा है। इस तरह पिछले एक साल तीन महीने में आवेदक ने तकरीबन 170 आवेदन लगा दिए है। इसके बाद भी जिला कलेक्टर या संबंधित अधिकारियों को दिल नहीं पसीजा है। अभी तक गुलाबराव की जनता को न्याय नहीं दिला पाए है। कुल मिलाकर जनसुनवाई महज एक औपचारिक सुनवाई बनकर रह गई है। आवेदक का कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक वह आवेदन लगाता रहेगा। यदि संभव हुआ तो प्रधानमंत्री से भी गुहार लगाएगा।


हजारों रूपए कर चुका खर्च


समाज सेवी दयानंद चौरसिया ने बताया कि 170 आवेदन लगा चुके है। जिसमें गुलाबराव के तकरीबन 80 आवेदकों के हस्ताक्षर है। इस तरह वह हर हफ्ते पांच आवेदन बनाता है। जिसमें तकरीबन आठ से पांच पन्ने का आवेदन होता है। इस तरह उसे फोटो कॉपी करवाने में महीने भर में एक हजार रूपए से अधिक का खर्च आता है।


सीएम हेल्पलाइन में खारिज हो गया आवेदन


जब आवेदक दयानंद चौरसिया को जनसुनवाई में न्याय नहीं मिला तो उसने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर गुहार लगाई। उसे लगा कि शायद सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के बाद अधिकारियों के कान में जूं रेंग जाएगी। यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी। उसकी शिकायत बिना निराकरण किए बंद कर दी गई। इस तरह दो बार सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत भी उसे न्याय नहीं दिलवा पाई।