यूपी के झांसी हादसे से सबक नहीं ले रहा स्थानीय प्रशासन, आग से बचने के तंत्र असुरक्षित
छिंदवाड़ा। उत्तर प्रदेश के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कालेज के बच्चा वार्ड में आग लगने से 10 मासूमों की आग से झुलसने व दम घुटने से मौत की घटना के बाद भी जिला अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन काई सबक नहीं ले रहा है। रख-रखाव के अभाव में जिला अस्पताल के पांचों मंजिल के फायर सेफ्टी सिस्टम कबाड़ में तब्दील हो गया है। चोरों ने कम्पलीट होज बाक्स के कांच फोडक़र होज पाइप और नोजल पार कर दिए है। वही चकरी में लगे पलते रेड पाइप भी गायब है। इस तरह फायर सेफ्टी सिस्टम को पूरी तरह खराब कर दिया है। इस तरह जिला अस्पताल के सैंकड़ों मरीजों की जिंदगी कबाड़ फायर सिस्टम के भरोसे है। ऐसे में यदि इस तरह की घटना हो जाए तो अस्पताल का फायर सेफ्टी किसी काम का नहीं है। अन्य संसाधनों के माध्यम से फायर पर काबू पाया जा सकेगा। इस मामले को लेकर खबरें प्रकाशित की थी। इसके बाद भी प्रशासन या अस्पताल प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया। हालांकि प्रबंधन ने सिलेंडर जरूर बदले है। सिलेंडर इतने छोटे है कि एक कमरे में लगी आग पर काबू नहीं पाया जा सकेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। अभी तक अस्पतालों को ऐसी घटनाओं से संबंधित कोई दिशा निर्देश नहीं दिए है।
कांच की जगह खड्डे से पैक होज बाक्स
अस्पताल में धूम रहे आसामाजिक तत्वों ने पांच मंजिलों में लगे होज बाक्स के कांच फोडक़र किसी से पाइप तो किसी से नोजल निकाल लिए है। इसके बाद प्रबंधन ने कांच की जगह खड्डे लगाकर बाक्स को पैक कर दिया है। वही ग्राउंड लेबल के होज बाक्स में कबाड़ भरा हुआ है। इस तरह फायर सेफ्टी के हाल बेहाल हो गए है।
इमरजेंसी सीढिय़ा भी खराब
इधर फायर सेफ्टी के साथ साथ आग से बचने के लिए पांच दूसरी मंजिल से लेकर पांच मंजिल तक इमरजेंसी सीढिय़ा लगाई गई है। आग लगने की घटना के दौरान इन सीढिय़ों के सहारे मरीज और उनके परिजन अपनी जान सुरक्षित कर सकते है, लेकिन रख रखाब के अभाव में इन सीढियों को जंक ने बर्बाद कर दिया है। यह सीढिय़ां पैर रखते ही टूट जाएगी।
नगर निगम ने दी थी एनओसी
इधर दो महीने पूर्व अस्पताल प्रशासनिक अधिकारियों, अस्पताल प्रबंधन और निगम अधिकारियों की मौजूदगी में मॉक ड्रिल किया गया था। उस समय फायर सेफ्टी सिस्टम इसी तरह कबाड़ हो चुका था। इसके बाद भी निगम अधिकारियों ने अस्पताल को फायर सेफ्टी सिस्टम हो एनओसी दे दी गई। ऐसे में इस तरह की घटना दोहराई जाती है तो इसका जिम्मेदारी किसकी होगी?
निजी अस्पतालों में भी नहीं फायर सेफ्टी व्यवस्था
जिले भर में निजी अस्पतालों की बाढ़ सी आ गई है। जहां तहां अस्पतालों की ऊंची ऊंची बिल्डिंगें दिखाई दे रही है। इन अधिकांश भवनों में फायर सेफ्टी के संसाधन महज औपचारिकता के लिए लगाए गए है। सिर्फ कागजों में कंपलीट फायर सेफ्टी दर्शा दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इन अधूरे लगे सेफ्टी फायर सिस्टम वाले अस्पतालों को मंजूरी भी दे दी है। भगवान न करे निजी अस्पतालों में झांसी जैसी घटना हो जाए तो अस्पताल के अंदर से कोई मरीज सही सलामत निकाल पाना मुश्किल हो जाएगा।
इनका कहना है…
अस्पताल के सेफ्टी फायर सिस्टम के अलावा और भी प्रस्ताव रखे गए है। जल्द ही इसे दुरूस्त करवाया जाएगा। इसी तरह निजी अस्पतालों की जांच करवाई जाएगी। जिसमें फायर सिस्टम अधूरे पाए जाएंगे। उनका रजिस्ट्रशन रद्द कर दिया जाएगा।
डॉ एनके शास्त्री, सीएमएचओ छिंदवाड़ा