पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद महिला ने पास की एडीपीओ की परीक्षा
छिंदवाड़ा।कहते है कोई भी कार्य कठिन नहीं होता बस जरूरत है सही मन और पक्के इरादे से उस कार्य को पूरा करने की कोशिश करना। इस दुनिया मे ऐसा कोई असम्भव कार्य नहीं है जो मनुष्य के हौसलों से बड़ा हो। यह शब्द लेखक दुष्यंत कुमार है। जो छिंदवाड़ा के विवेकानंद कालोनी की रहने वाली श्रीमती रजनी वानखेड़े पर सटीक बैठती है। उन्होंने विपरीत परिस्थतियों में रहते हुए पांच साल की कड़ी मेहनत, लगन और लक्ष्य से एडीपीओ की परीक्षा पास ली है। इसके बाद उनके घर में खुशियों का माहौल है।
श्रीमती रजनी वानखेड़े के मुताबिक पहले वह जज की तैयारी कर रही थी। इसी वजह से मैंने एलएलबी का कोर्स किया। इसके बाद उनके पति मनोज वानखेड़े जो कि महिला बाल विकास अधिकारी थे। जिनकी साल भर पहले मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने एडीपीओ की परीक्षा देने प्रेरित किया था। इसके बाद महिला ने इस परीक्षा की तैयारी शुरू की। इसके लिए उन्होंने सिलेबस के आधार पर शेड्यूल बनाकर रोजाना चार से पांच घंटे कड़ी मेहनत की। वही उन्होंने अन्य प्रतियोगियों के साथ ग्रुप बनाकर मेहनत की। सभी विषयों को याद कर एक दूसरे को सुनाना और सुनने का काम किया। इसके बाद जब परीक्षा नजदीक आ गई, तब 10 से 12 घंटे कड़ी मेहतन की। इस बीच वह अपने बच्चों का भी ध्यान रखती थी। उन्हें स्कूल छोड़ना, उनकी पढ़ाई पर ध्यान देना घरेलु काम काज भी करना। इन सबके बाद जो समय बचता था, उसमें पढ़ाई की। वही कोरोना के दौरान भी उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी। इस तरह उन्होंने एडीपीओ की परीक्षा दी। जब परीक्षा परिणाम आए तब उन्हें उनकी सहेली ने फोन कर बताया। परीक्षा परिणाम में पास होने के बाद बधाइयों का तांता लग गया। उन्होंने बताया आज मेरे पति नहीं है। मुझे इस नौकरी की बहुत आवश्यकता थी। इससे मैं अपने बच्चों के भविष्य को और बेहतर बना सकती हूं। उन्होंने इस परीक्षा को उर्त्तीण करने अपने माता-पिता, सास सुसर, पति और कोचिंग संचालक को श्रेय दिया है। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि पहले लक्ष्य निर्धारित करिए। कड़ी मेहनत, लगन और अनुशासन के बिना लक्ष्य नहीं पाया जा सकता। उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य पीड़ितों की मदद कर उन्हें न्याय दिलाना है।
ननिहाल में की प्रारंभिक शिक्षा
बता दें कि श्रीमती रजनी वानखेड़े ने बालाघाट ननिहाल में रहते हुए उन्होंने बायो विषय से हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया। नाना नानी की तबियत खराब होने के कारण उन्होंने पढ़ाई छोड़ उनकी सेवा की। पांच साल के दौरान नाना नानी और उनकी मां की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने बायो से कालेज की पढ़ाई पूरी की। जबलपुर से उन्होंने डीएमएलटी और बीईएमएस की परीक्षा पास कर ली। मेडिकल कालेज में दो साल जॉब किया। इसके बाद वापस बालाघाट आकर पैरामेडिकल कालेज में लेक्चरर का जॉब किया।
पति ने दिखाया रास्ता
उन्होंने बताया कि रजनी वानखेड़े की विवाह 2010 में हो गया था। जिसके बाद वह जॉब छोड़कर सुसराल आ गई। यहां भी सास लंबी बीमारी से पीड़ित होने के बाद उन्होंने एमएसडब्ल्यु और पीजीडीसीए का कोर्स किया। वही एलएलबी परीक्षा भी उत्तीण की। परीक्षा के दौरान विपरीत परिस्थितियों में पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बच्चों को भविष्य को देखते हुए कड़ी मेहनत कर इस परीक्षा को पास कर लिया।